हुई बरखा झूमते नर-नार प्रसन्न मन। हुई बरखा झूमते नर-नार प्रसन्न मन।
प्रतिक्षण टूट टूटकर पाषाण बन चुकी है प्रतिक्षण टूट टूटकर पाषाण बन चुकी है
जो भीगा उस रोज़ ख़ुमारी आज भी है। जो भीगा उस रोज़ ख़ुमारी आज भी है।
ये मोर सजना तनी लेता हमके हियवा लगाए ये मोर सजना ये मोर सजना तनी लेता हमके हियवा लगाए ये मोर सजना
जो तुझ को छू कर आया है जो तुझ को छू कर आया है
काली भूरी बदली छाई चपल दामिनी दमक रही. काली भूरी बदली छाई चपल दामिनी दमक रही.